हमारे भारतीय समाज में धूपबत्ती और अगरबत्ती, इन सभी को, खुशबूदार छड़ी के तौर पर देखा जा।ता है। क्योंकि इनका इस्तेमाल ही वातावरण में खुशबु फ़ैलाने के लिए किया जाता है।
लेकिन जैसा की हम सब जानते हैं, धूपबत्ती और अगरबत्ती एक समान बिलकुल नहीं है। जहाँ धूप की छोटी छोटी बत्तियां या बण्डल होते हैं, वहीँ अगरबत्ती की पतली पतली छड़ें होती हैं। और प्रकृति में अगरबत्ती ज्यादा सूखी और सख्त होती है, इन दोनों को खुशबु के लिए जलाया जाता है। धूपबत्ती को धूप के पेड़ों के अर्क से तैयार किया जाता है, इन पेड़ों का वानस्पतिक नाम वटेरिया इंडिका और कैनेरा सेन्टम है।
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धूप बनाने के लिए पेड़ों से अर्क को ठीक उसी तरह एकत्रित किया जाता है, जिस तरह से रबर बनाने के लिए किया जाता है। वातेरिया इंडिका नामक यह पेड़ सक धूप का स्रोत है, जबकि कैनोरियम स्ट्रेंगम राला धूप का स्रोत है। जैसा की हम पहले भी बता चुके हैं की, धूपबत्ती मार्किट में छड़ी के रूप में उपलब्ध नहीं है। लेकिन यह नम पेस्ट के रूप में जिसकी जलाते समय आसानी से बत्तियाँ बनाई जा सकती हैं, उपलब्ध है। यह कुछ हद तक हलवे जैसा रंग में काला होता है। धूपबत्ती का यह पेस्ट घी, जड़ी बूटियों, धूप के पेड़ के अर्क का मिश्रण होता है। इस तरह की ये धूप शंकु या मोटी छड़ियों में उपलब्ध हैं।
इसके अलावा धूपबत्ती विभिन्न सुगंधों जैसे पंच धाम, केसर, नाग चम्पा इत्यादि में बाजार में उपलब्ध होती हैं। धूप को अलग अलग विनिर्माणकर्ताओं द्वारा अलग अलग सामग्रियों से बनाया जाता है। इसकी गंध मजबूत होती है, जो एक आध्यात्मिक मूड बनाने में मददगार साबित होता है। धूप के पेड़ अधिकतर पूर्वी भारत में पाए जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश इस तरह के ये पेड़ विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुके हैं, क्योंकि इनकी मार्किट में कीमत अच्छी होती है।
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धूपबत्ती बनाने का बिजनेस क्या है?
बाजार में धूपबत्ती शंकु आकार या बण्डल में ज्वलनशील पेस्ट के रूप में उपलब्ध है। इसे विभिन्न सामग्रियों का इस्तेमाल करके बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल लोग पूजा पाठ एवं अनेकों तरह के धार्मिक अनुष्ठान करते समय आध्यात्मिक माहौल बनाने के लिए करते हैं। यही कारण है की लोगों द्वारा इसका इस्तेमाल दैनिक जीवन में किया जाता है। और लगभग हर घर में एक या एक से अधिक पैकेट धूप के अवश्य मिल जायेंगे। लोगों की इसी आवश्यकता को ध्यान में रखकर जब किसी उद्यमी द्वारा धूप बनाने का काम शुरू किया जाता है। तो उसके द्वारा किये जाने वाले इस व्यवसाय को ही धूपबत्ती बिजनेस कहते हैं।
धूपबत्ती की बिक्री संभाव्यता
भारत में विभिन्न धर्मों का अनुसरण करने वाले लोग रहते हैं, लेकिन अगरबत्ती और धूपबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर धर्म के लोगों द्वारा, कोई धार्मिक अनुष्ठान, या अन्य कार्यों के लिए, किया जाता रहा है। यही कारण है की धार्मिक स्थानों में इनकी आवश्यकता बहुत अधिक होती है। इसके अलावा लोग अनेकों प्रकार के रीती रिवाज, प्रथाएं निभाने के दौरान भी इनका इस्तेमाल करते हैं।
हवन, पूजा पाठ इत्यादि धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान भी इनका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है, धूप थोक में और रिटेल दोनों तरह से खरीदी जाती है। यह घरों में इस्तेमाल में लायी जाने वाली एक आम पूजा पाठ सामग्री है। इसलिए इस तरह की इकाई स्थापित करना किसी भी इच्छुक उद्यमी के लिए लाभकारी हो सकता है।
धूपबत्ती बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें? (How to Start a Dhoop Batti Business):
धूपबत्ती बनाने के बिजनेस को शुरू करने के लिए भी उद्यमी को वे सभी आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता हो सकती है, जो किसी अन्य विनिर्माण बिजनेस को शुरू करने के लिए होती है। इसमें उद्यमी को स्टोर रूम के लिए जगह कच्चा माल और उत्पादित माल दोनों के लिए, बिजली आपूर्ति उपयोगिताओं जैसे जनरेटर इत्यादि के लिए जगह, विनिर्माण स्थल के लिए जगह और एक छोटा सा ऑफिस स्थापित करने के लिए भी जगह, की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा उद्यमी को आवश्यक लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन, उपयुक्त कर्मचारी, मशीनरी उपकरण एवं कच्चे माल की खरीदारी इत्यादि जैसी प्रक्रियाओं को भी पूर्ण करना होता है। तो आइये जानते हैं की कैसे कोई इच्छुक व्यक्ति खुद का धूपबत्ती बनाने का बिजनेस शुरू कर सकता है।
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1. जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध
धूपबत्ती एक ऐसी सामग्री है, जो लगभग हर घर व धार्मिक प्रतिष्ठानों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल में लायी जाती है। इसलिए यहाँ पर यह रिसर्च करने की आवश्यकता शायद नहीं है, की उस क्षेत्र विशेष में इसकी मांग है, या नहीं। बल्कि उद्यमी को पहले कदम के तौर पर जमीन और बिल्डिंग का प्रबंध करने का उठाना होगा। इस तरह के व्यवसाय को शुरूआती दौर में उद्यमी बेहद कम जमीन के साथ भी शुरू कर सकता है, उद्यमी को 500-700 वर्गफीट जमीन की आवश्यकता हो सकती है।
यदि उद्यमी के पास स्वयं की जमीन है तो वह वहीँ पर कंस्ट्रक्शन कार्य शुरू कर सकता है, लेकिन यदि ऐसा नहीं है, तो उद्यमी को कोई बनी बनाई बिल्डिंग किराये पर लेनी होगी। और इसके लिए यह जरुरी नहीं है, की इकाई किसी भीड़ भाड़ या व्यस्त इलाके में ही मौजूद हो। बल्कि उद्यमी को जहाँ सस्ते दामों में किराये पर बिल्डिंग मिल रही हो, वह वहीँ से इस तरह का बिजनेस शुरू कर सकता है। बशर्ते वहां पर सड़क, बिजली, पानी, मजदूरों इत्यादि की आसान और उचित मात्रा में उपलब्धता हो।
2. वित्त का प्रबंध करें
धूपबत्ती बनाने का बिजनेस शुरू करने में आने वाले सभी खर्चों का उल्लेख उद्यमी को करना चाहिए। इनमें चाहे स्वयं की जमीन पर कंस्ट्रक्शन की लागत हो, बिल्डिंग का किराया हो, मशीनरी खरीदने में आने वाला खर्चा हो, कच्चे माल को खरीदने में आने वाला खर्चा हो, कर्मचारियों की सैलरी पर आने वाला खर्चा हो, या व्यवसाय को प्रचारित करने में आने वाला खर्चा हो, सभी खर्चों का आकलन करें।
और जितना आपने अनुमान लगाया है, उससे थोड़ा ज्यादा ही वित्त का प्रबंध करें, ताकि कुछ भी अनुमान के मुताबिक न होने पर उसे आसानी से संभाला जा सके। उद्यमी चाहे तो खर्चों का ऐसे आकलन न करके एक व्यवहारिक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर सकता है। जो उसे बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान से ऋण दिलाने में भी मदद करेगा।
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3. आवश्यक लाइसेंस और पंजीकरण
धूपबत्ती विनिर्माण बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को निम्नलिखित लाइसेंस और पंजीकरणों की आवश्यकता हो सकती है।
- उद्यमी को अपने व्यवसाय को प्रोप्राइटरशिप या वन पर्सन कंपनी के तहत रजिस्टर करने की आवश्यकता हो सकती है।
- जीएसटी रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता हो सकती है।
- व्यवसाय के नाम से पैन और बैंक में चालू खाता खोलने की आवश्यकता हो सकती है।
- स्थानीय प्राधिकरण जैसे नगर निगम इत्यादि से लाइसेंस लेने की आवश्यकता हो सकती है।
- उद्यम रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता हो सकती है।
- ब्रांड नाम को सुरक्षित करने के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता हो सकती है।
4. मशीनरी और कच्चे माल की खरीदारी
धूपबत्ती बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए उद्यमी को निम्नलिखित मशीनरी और उपकरणों को खरीदने की आवश्यकता हो सकती है।
- रोलर मिल मशीन
- लीव्स कटिंग मशीन
- वाटर बाथ (मिक्सिंग मशीन)
- पाउडर मिक्सिंग मशीन
- एज रनर मशीन
- पल्वराइजर
- आयल स्टोरेज टैंक
- लेबोरेटरी उपकरण
धूपबत्ती बनाने के लिए आवश्यक कच्चे माल की लिस्ट कुछ इस प्रकार से है।
- गुग्गल
- चन्दन की लकड़ी का पाउडर
- धूप की लकड़ी
- कास्कालिया पाउडर
- चारकोल पाउडर
- ग्राउंडनट शेल
- लकड़ी का बुरादा, यूकेलिप्टस और तेज पत्ते की पत्तियाँ
- डायथाइल फोथलेट आयल
- जिगत पाउडर
- इत्र के यौगिक
- प्लास्टीसाइजर
- प्रीजरवेटिव
- पैकेजिंग बॉक्स
- गत्ते के बॉक्स
5. धूपबत्ती बनाने का कार्य शुरू करें (Start Dhoop Batti Making Process )
इसकी विनिर्माण प्रक्रिया में सबसे पहले यूकेलिप्टस के पत्तों, तुलसी के पत्तों, तेज पत्ते के पत्तों को पत्ते कटिंग मशीन की मदद से, काट लिया जाता है। और इन्हें सूखने के लिए एक दो दिन, वैसे ही छोड़ दिया जाता है। इन पत्तों को सुखाने के बाद इनका चूर्ण बनाकर पाउडर के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है। उसके बाद गुग्गल, कैसलिया पाउडर, जिगट पाउडर और अन्य सूखे यौगिकों को वाटर बाथ मिक्सिंग मशीन में डायथाइल फ़ेथलेट आयल के साथ मिलाया जाता है। धूपबत्ती बनाने के लिए अब पाउडर मिक्सिंग मशीन में धूप की लकड़ी, चारकोल पाउडर, मूंगफली के खोल पाउडर, और पत्तों के पाउडर को मिला लिया जाता है।
उसके बाद इस मिश्रण को प्लास्टीसाईजर और इत्र के यौगिकों के साथ एज रनर मशीन में स्थान्तरित कर दिया जाता है। उसके बाद इस सामग्री को चिपचिपा पेस्ट में परिवर्तित किया जाता है। और इस पेस्ट को धूपबत्ती में बदलने के लिए कटिंग मशीन में काटने के लिए भेज दिया जाता है। अंत में इन्हें छोटे छोटे गत्ते के प्रिंटेड बॉक्स, या फिर प्रिंटेड प्लास्टिक पन्नी में पैक करके, गत्ते के डिब्बों में डाला जाता है।
चंदन, कुष्ठ, नखल, राल, गुड़, शर्करा, नखगंध, जटामांसी, लघु और क्षौद्र सभी को समान मात्रा में मिलाकर जलाने से उत्तम धूप बनती है।
अगरबत्ती निर्माण व्यवसाय काफी आकर्षक है। साथ ही कुछ छोटी मशीनरी और उपकरणों के साथ, घर पर भी इस निर्माण व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं।
Param प्रीमियम इन्सेंस स्टिक रजवाड़ी | अगरबत्ती सबसे अच्छी खुशबू | अगरबत्ती बॉक्स बेस्ट सेलर | अगरबत्ती और धूपबत्ती | ब्रांडेड अगरबत्ती 20 Gm. बॉक्स (12 का पैक)
धूप बनाने की विधि
छाने हुए पाउडर को एक बर्तन में रखें और बाकी बची हुई सामग्री जैसे घी, शहद, तिल का तेल और पानी को पाउडर में डालकर मिक्स करें। सभी को अच्छे से मिलाने के बाद इसे धूप का आकार दें। आप तिकोना या स्टिक के आकार में भी धूप बत्ती बना सकते हैं। धूप बत्ती बनाने के बाद इसे 1 से 2 दिन के लिए धूप में सुखाएं।
धूपबत्ती का बिजनेस करने के लिए अन्य उद्योग की तरह ही लोकल अथॉरिटी की आवश्यकता होती है, वहां से आपको इसका लाइसेंस प्राप्त करना होता है। इसका लाइसेंस मिलने के लिए थोड़ा सा समय लग जाता है, परंतु जब तक अथॉरिटी लाइसेंस नहीं रहती है तब तक आप इस व्यवसाय को शुरू नहीं कर सकते हैं, अन्यथा कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
शोध में बताया गया है कि अगरबत्ती-धूपबत्ती से निकलने वाला धुआं बॉडी सेल पर बुरा असर डालता है और यह सिगरेट के धुएं से भी ज्यादा जहरीला है। रिसर्च में पाया गया कि इसके धुएं से सेल के डीएनए में बदलाव होता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। हकीकत चाहे जो भी हो, लेकिन इस बारे में सचेत होने की जरूरत है।
“तंत्रसार के अनुसार-“ अगर, तगर, कुष्ठ, शैलज, शर्करा, नागरमाथा, चंदन, इलायची, तज, नखनखी, मुशीर, जटामांसी, कर्पूर, ताली, सदलन और गुग्गुल ये सोलह प्रकार के धूप माने गए हैं।